गाड़ी बुला रही है,सीटी बजा रही है,चलना ही जिंदगी है,चलती ही जा रही है

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यानि अबतक ज़िन्दगी कुछ वक़्त के लिए थम सी गई थी, जिन पटरियों पर कभी ट्रेनों का आना जाना थमता ना था वो भी रुक सा गया था। कुछ वक़्त ऐसे होते जहां हम चाह के भी कुछ कर नहीं सकते, कुछ ऐसा ही वक़्त है आजकल।


अभी फ़िलहाल सब रुका था, यहां तक की रेलगाड़ी, कभी देखा नहीं की पटरियां खाली रही हों। मेरा घर तो बहुत क़रीब है क्रासिंग के, तो जब उन पटरियों पर रेलगाड़ी कहीं से आती तो उसके सायरन से पहले धरती में कम्पन हो जाता है और पता लग जाता की हाँ कोई रेलगाड़ी सफर तय कर के अपनी मंज़िल को पहुँच रही है।

कृपया यात्रीगण ध्यान दें


आज़ कितने दिनों बाद पटरियों पर हर तरह की रेलगाड़ियां दौड़ेंगी, और स्टेशनों पर वो जो सूचनाएं, “कृपया यात्रीगण ध्यान दें, ट्रेन संख्या 2315 अपने निर्धारित समय से प्लेटफार्म संख्या 3 से चलेगी…”और ना जाने कितनों का सफर तय होगा, कितने अपनी मंज़िल को निकलेंगे, इतने दिनों से जो कहीं घर से दूर किसी जग़ह मजबूरन फंसे थे। 

समय का पाबन्द


पर अब आप पहले की तरह भाग कर चलती ट्रेन पकड़ने वाला कारनामा भी नहीं कर पाएंगे,ना ही जहां से खड़े होंगे वहां से लाइन शुरू कर पाएंगे,और तो लम्बी लाइन भी नहीं लगा पाएंगे टिकेट के लिए,”चाय-गरम, ठंडा पानी, और ना ही गरम पकोड़ियां समोसे…” जैसी आवाज़ों से आपकी तन्द्रा भंग होगी, शायद अब तो समय का पाबन्द बनना पड़ेगा आपको और हमसबको, सफ़र में सामने कौन है अब शक्ल भी नहीं देखने को मिलेगी, और भी बहुत कुछ जो नहीं होगा अब….अब ट्रेन में सफ़र करने से पहले स्वस्थ होना जरूरी होगा, और तोऔर ट्रेन में चढ़ने  के लिए तरह तरह की जाँच से भी गुजरना पड़ेगा, अब यात्रा करना पहले सा सरल नही होगा।

नए नियम-कानून


कहते हैं ना कुछ वक़्त के लिए चीज़ें थम सकती हैं पर रुक नहीं, वैसे ही कुछ वक्त के लिए थम गई थी पटरियों पर चलने वाली रेलगाड़ियां, पर फिर से चल पड़ी है, अपने साथ मुसाफिरों को ले कर नए नियम-कानून के साथ।देखते हैं कबतक ये सिलसिला यूँ चलता है, कितने नियम-कायदे-कानून माने जाते हैं, क्योंकि लोगों को दूसरों के नियम के अनुसार चलना पसन्द नहीं होता, और फिर जो होता है आपसब को पता है।


फ़िलहाल ईश्वर करे जैसे रेलगाड़ी पटरियों पर वापिस आईं हैं वैसे ही हम सबकी ज़िन्दगी भी पटरी पर आ जाए।

Parul Tripathi

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