देश ki pukaar
0
देश की पुकार कूद जा ऐ मुनावर तू भी सरफ़रोशी की राह में, खुद को मुतला कर दे तू भी आज देश परस्ती की चाह में। जज़्बा-ऐ वतन को...

काव्य संग्रह

कविता: देश की पुकार ,कौम-ए-हिन्द

देश की पुकार कूद जा ऐ मुनावर तू भी सरफ़रोशी की राह में, खुद को मुतला कर दे तू भी आज देश परस्ती की चाह में। जज़्बा-ऐ वतन को...

अमन – काव्य संग्रह,जब भी बात हो अमन की, उनको शायद पसन्द नहीं।

जब भी बात हो अमन की, उनको शायद पसन्द नहीं। आतंकवाद का माहौल रहे चाहते वो अमन नहीं। हम कदम बढ़ाते अमन का, और वो आतंकवाद का, देशद्रोही बातों को...

‘जीवन का मूल्य’ – काव्य संग्रह

'जीवन का मूल्य' जीवन का मूल्य उनसे पूछो,जिनको रहने को घर नहीं,खाने को अन्न नहीं,हम तो बहुत सम्पन्न है,...