मतंगेश्वर महादेव मंदिर :रहस्यमयी मंदिर आपको विश्वास नहीं होगा परन्तु सत्य हैं- शिव काशी

 मतंगेश्वर- महादेव -मंदिर
 मतंगेश्वर महादेव मंदिर

विश्व में भारत एक ऐसा देश है जहां अनेको प्रकार की पौराणिक कथाएं आपको मिलेंगी, जिन्हें सुन कर आपको विश्वास नहीं होगा परन्तु वो सत्य होती हैं।

यहां अनेक प्रकार की कथाएँ हैं जिनको सुनने से मन में रोमांच सा भर जाता की, ऐसा भी हो सकता है क्या?

भारत एक मान्यताओं से भरा हुआ देश है यहां अनेक प्रकार की लोगों की मान्यता होती है, कोई देवी देवताओं के चमत्कार को मानता है कोई नहीं परन्तु शायद ही कोई हिन्दू हो जो ईश्वर के अस्तित्व को नकार दे।

भारत में अनेक मंदिर, धर्मस्थल हैं जिनको लेकर लोगों की अपनी आस्था और मान्यता है।

वैसे तो भारत देश में हज़ारों शिवलिंग स्थित हैं लेकिन एक चमत्कारी शिवलिंग जिसकी लम्बाई में स्वयं वृद्धि होती,

उसकी महिमा के बारे में जब आप सुनेंगे तो आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे।

हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश में स्थित खजुराहो के प्रसिद्ध मतंगेश्वर महादेव मंदिर की, जो पूरे मध्य प्रदेश और भारत में आस्था का मुख्य केंद्र है। 

इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है, इस ख़ास शिव मंदिर से लोगों की आस्था तो जुड़ी ही है लेकिन इस मंदिर से जुड़ा एक चमत्कार है जो इसे बेहद खास बना देता है,

और उसपे लोगो को विश्वास करने पर मजबूर कर देता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के शिवलिंग की लम्बाई हर साल बढ़ती है। 

 मतंगेश्वर-महादेव-मंदिर
 मतंगेश्वर महादेव मंदिर

विश्वास नहीं हुआ ना, लेकिन ऐसा ही है, और यह सत्य है।

शुरुआत में लोग इसे लोगों के आस्था और अंधविश्वास से जुड़ा मानते थे लेकिन बाद में जब लोगों के कहने पर पर्यटन विभाग के कर्मचारियों ने इस मंदिर से जुड़े रहस्य की जांच की तो पता चला कि सच में हर साल कार्तिक माह के शरद पूर्णिमा के दिन मतंगेश्वर महादेव मंदिर स्थित शिवलिंग की लम्बाई एक तिल के आकार के बराबर बढ़ जाती है। 

यह भी कहा जाता की जितनी लम्बाई ऊपर की और बढ़ती है उतनी ही इस शिवलिंग की लम्बाई नीचे की तरफ जमीन में भी बढ़ती है।

इसी विशेषता के कारण यहां भक्तों का ताँता लगा रहता, सावन मास में तो लोग दूर दूर से आ कर इस शिवलिंग की पूजा करते हैं।

विशेषज्ञों और इतिहासकारों के अनुसार मतंगेश्वर मंदिर का निर्माण 9वीं सदी में हुआ था और आज यह मध्यप्रदेश के खजुराहों के सबसे ऊँचें मंदिर के रुप में विख्यात है।


पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शंकर के पास मरकत मणि थी, जिसे शिवजी ने पांडवों के भाई युधिष्ठिर को दे दी थी। युधिष्ठिर के पास से वह मणि मतंग ऋषि पर पहुंची और उन्होंने राजा हर्षवर्मन को दे दी।

मतंग ऋषि की मणि की वजह से ही इनका नाम मतंगेश्वर महादेव पड़ा था। राजा ने वो मणि छिपाने के लिए शिवलिंग के बीच जमीन में गाड़ दी थी।

तब से मणि शिवलिंग के नीचे ही है। यह विशाल शिवलिंग मंदिर के गर्भगृह में ही स्थित है।
अगर आप मध्यप्रदेश जाएँ तो एक बार इस मंदिर जरूर जाएँ, आपको शिवजी की शक्ति का आभास जरूर होगा।

हर हर महादेव।

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