सर्द आहें, दर्द, आँसू, सिसकियों की बद्दु
आइश्क़ को फिर यूँ लगी कुछ हिचकियों की बद्दुआ
ज़ख़्म देकर ज़िन्दगी को, रंग ख़ुद से छीने हैं
जाओ भी तुम को लगेगी तितलियों की बद्दुआ
पेड़ काटे और बेघर यूँ किए कितने ही फिर
मेरा मरना है फ़क़त उन पंछियों की बद्दुआ
मोल कैसे जाने जिसको मिल गया सब मुफ्त ही
नाख़ुदा का डूबना…? थी कश्तियों की बद्दुआ
काम सारे करता देखो कोसते फिर भी सभीमोबाइल को भी लगी है चिट्ठियों की बद्दुआ
Fakeera
ध्यान मेरा उसने फिर यूं भी हटाना ठीक समझा
था बहुत मसरूफ़ सो ज़ुल्फ़ें गिराना ठीक समझा
नज़रें उनकी बारहा हम पर ही आकर टिक रही थीबस तो हमने नज़रों से नज़रें मिलाना ठीक समझा
उनकी यादें जान ही ले लेती मेरी भूख से फिरअक्ल ने घंटी बजाई खाना खाना ठीक समझा
ज़िन्दगी ने आगे बढ़कर ख़ुद गले उसको लगायामुश्किलों के आगे जिसने मुस्कुराना ठीक समझा
मेरी आँखों में मुसलसल एक पत्थर टिक गया क्यूँआंसुओं के रस्ते ही उसको बहाना ठीक समझा
रोने वाला ही समझता है क्या कीमत इक हंसी की
मसख़रे ने दूसरों को यूँ हँसाना ठीक समझा
Fakeera
Ansh Rajora